दिल्ली में 27 सीटों पर हार-जीत तय करते हैं पूर्वांचली मतदाता


 


 


 नई दिल्ली। दिल्ली की सियासत में प्रवासी निर्णायक भमिका में आ गए हैं। पंजाबी और वैश्य कार्ड की जगह सियासत पर्वांचल फैक्टर पर ज्यादा निर्भर हो गई है। दिल्ली की 27 सीटों पर पूर्वांचल के लोग चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की स्थिति में हैं। इसके चलते सियासी दल भी पूर्वांचल पर जमकर दांव लगा रहे हैं। इसके साथ ही हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल, राज्यस्थान और मध्यप्रदेश से भी बड़ी संख्या में प्रवासी दिल्ली में हैं। प्रवासियों के चलते बने नए गठबंधन -विधानसभा चनाव में इस बार कई नए गठबंधन बने हैं। इसका बड़ा कारण प्रवासी हैं। भाजपा ने जदय और लोजपा के साथ गठबंधन किया है। दोनों दल बिहार की सियासत में सक्रिय हैं, लेकिन इस बार भाजपा इनके सहारे पूर्वांचल के वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने जदयू को दो और लोजपा को एक सीट दी है। वहीं कांग्रेस ने राजद के साथ गठबंधन किया है। राजद के कोटे में चार सीटें आई हैं। पहली तीन विधानसभाओं में दिल्ली की सियासत में पंजाबी और वैश्य लाबी का दबदबा रहाउन्हीं के हाथ में दिल्ली की सियासत रही। बीजेपी ने पूर्वी दिल्ली सीट पर लाल बिहारी तिवारी को सांसद बनाकर पूर्वाचली कार्ड खेला था। इसके बाद कांग्रेस ने साल मिश्रा को आगे बढ़ाया। महाबल कांग्रेस विधायक और बाद में सांसद रहे। इस बार उनका बेटा आम आदमी पार्टी से चुनाव ल? रहा है। प्रवासियों के ब?ते प्रभाव के चलते अब सभी दलों में नेतृत्व की कमान प्रवासियों के हाथ में है। भाजपा और आम आदमी पार्टी की प्रदेश इकाई के मुखिया पूर्वाचली हैं। भाजपा, आप और कांग्रेस ने पूर्वांचलियों के लिए अलग प्रकोष्ठ और मोर्चा बनाए हैं। रोजगार की तलाश में आकर बसे ज्यादातर प्रवासी दिल्ली में रोजगार की तलाश में आए हैं। युवा पीढ़ी पढ़ाई करने के लिए दिल्ली आती है और यहीं काम की तलाश में जुट जाती है। तिमारपुर, मुखर्जी नगर, माडल टाउन ऐसे युवाओं से भरा प?ा है। इसके चलते प्रवासियों की संख्या दिल्ली में लगातार बढ़ रही है। पूर्वांचली नेतत्व और टिकट के सहारे आप ने साधा था गणित - 2015 में दिल्ली में आप की बंपर जीत में प्रवासियों की बटी भूमिका थी। प्रवासियों ने जमकर आप के पक्ष में मतदान किया था। इस गणित को समझते हुए आप ने दिलीप ' पांडे को प्रदेश संयोजक बनाया था। पूर्वांचल के 12 लोगों को टिकट दिया और सभी चुनाव जीते थे। इसके बाद पार्टी ने एक पूर्वांचली (गोपाल राय) को मंत्री और एक (संजय सिंह) को राज्यसभा भेजा। प्रमुख पदों पर भागीदारी - इस चुनाव में सभी दल प्रवासियों को साधने में लगे हैं। भाजपा ने मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया हुआ है। पार्टी ने आठ पूर्वांचलियों को टिकट दिया है। डिप्टी सीएम के सामने उत्तराखंडी को उतारा है। आप ने गोपाल राय को प्रदेश संयोजक बनाया हुआ है और 10 पूर्वांचलियों को टिकट दिया है। आप ने चुनाव प्रभारा भा सजय सिह का बनाया है। काग्रेस ने भी कीर्ति आजाद को कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाया हैदिल्ली विधानसभा में धीरे-धीरे पूर्वांचल का दबदबा बढ़ता रहा। 1993 में पहली बार लाल बिहारी तिवारी, परवेज हाशमी और कीर्ति आजाद विधायक चुने गए थे। इसके बाद 1998 की विधानसभा में प्रवासियों का दबदबा बढ़ा। इस बार परवेज हाशमी, मोहन सिंह बिष्ट, मीरा भारद्वाज और महाबल मिश्रा ने चुनाव जीता। परवेज हाशमी को दिल्ली सरकार में मंत्री बनाया गया। धीरे-धीरे प्रवासियों का दबदबा ब?ता रहा। बीते विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 12 पूर्वाचलियों को टिकट दिया था और वे सभी चुनाव जीत गए थे। पूर्वांचल के ज्यादातर लोग कच्ची कॉलोनियों में रहते हैं। यहां बुनियादी सुविधाओं का भारी कमी है। पानी, सीवर, स?क, परिवहन और पाक यहा क प्रमुख मुद्दा म शामि भी कच्ची कॉलोनियों को पक्का करने की घोषणा करते भा का वक्त न मर वक्त इन मतदाताओं को साधा है। उधर, आम आदमी पाटा का दावा ह कि उन्हान इन कालानिया म बानयादा सुविधाए पहुचाने के लिए पहले ही बहुत काम किया है। इन कालानिया म सड़क, सावर आर प कामों को प्रमुखता से कराया है।5